tag:blogger.com,1999:blog-4846271977780095737.post8844586930620388958..comments2023-12-21T02:36:42.292-08:00Comments on हिंदी साहित्य संसार: देश ,इतिहास और रामदेवrabi bhushan pathakhttp://www.blogger.com/profile/18276093089412772926noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4846271977780095737.post-89411440451509593642012-03-29T07:11:06.522-07:002012-03-29T07:11:06.522-07:00उद्देश्य कितना भी पवित्र हो,यदि दृष्टि साफ नहीं है...उद्देश्य कितना भी पवित्र हो,यदि दृष्टि साफ नहीं है तो विचार और क्रिया-दोनों की नियति हवा-हवा होकर रह जाना है।इनके पीछे अगर कोई छिपा हुआ एजेंडा हो तो बात और बिगड़ जाती है। असमंजस तो घातक है ही--दुविधा में दोनों गये,माया मिले न राम। <br />आपने स्थिति का सुन्दर विश्लेषण किया है,रवि जी।बधाई !!!arvind thakurhttps://www.blogger.com/profile/06469625502847086889noreply@blogger.com