
ई नामवर बहुत सताबइ
ई नामवरबा बहुत सताबइ
कखनो टीवी,कबहु रेडियो
ब्लॉग,न्यूज पर आबइ
तुरते मम्मट,तुरत लोंजाइनस
मुक्तिबोध बताबइ । ई नामवरबा 0000
कविता नाटक उपन्यास पर
अजबे गजब सुनाबइ
नागार्जुन अपभ्रंश हजारी
सबहक सत्व दिखाबइ
लिख मारलक दू चारि किताब बस
बाजि बाजि घोलटाबइ । ई नामवरबा 0000
आब रमत नहि लिखत पढत मे
बात से बात निकालइ
बाज बाज वौआ दिन तोहर
शणियो सुघड,मंगलबो गाबइ । ई नामवरबा 0000
की खाइ छें,कोन पानि पिबइ छें
घाट घाट के वानि बजइ छें
हमरो दे किछु जंतर मंतर
बाजी कम ,गुण अधिक सुनाबइ ।
ई नामवरबा बहुत सताबइ ।
ई नामवरबा बहुत सताबइ ।
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