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Saturday 19 March, 2011

बेटा बैनीआहपीनाला

हम निछन्‍द उस्‍सर बलुआहा
रसगंगाधर बन तू निराला
दिखे दिन कर दुपहरिया के
नही मरीचिका न छल सपना
सींच रहा अपनी मरूभूमि
किसकी साकी कौन सा प्‍याला
भले बाप को रंग का लाला
बेटा बैनीआहपीनाला






1 comment:

  1. nayapan liye hue ek sundar kavita........bahut hi badhiya

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