फेसबुक की दुनिया में कोई माईबाप नही है
या फिर दोस्तों के दोस्त हैं
हमारे कई दोस्त हमें महिला समझ
या फिर कवि,पत्रकार,बुदिधमान समझ बहुत स्नेह देते हैं
जो भी हो,यह स्नेह मुझे बहुत प्रिय है
फेसबुक के मेरे अग्रजगण साहित्य,कला,पत्रकारिता,व्यवसाय के मंजे खिलाडी हैं
इनको पता है कब किसको क्या कहना है
कब किससे कुछ कहना है सटना है
यहां उंगलियों से पसन्द किए जाते हैं
उंगली से ही निबाही जाती है
उंगलियों से ही दिल ,देश पर नजर रखते हैं
खता इन्हीं की है,क्यों सर कलाम होगा
ज्यादा से ज्यादा उंगली तमाम होगा
बदल गया है उंगलियों का गुणधर्म
देश अब माल हो गया है
देश उंगलीमाल हो गया है