किसानी बकबास है ,बनियौटी चोखा ,निवेशक की बजाय ब्रोकिंग में चमक थी ,और जो था फायदा ही ,निवेश केवल मुंह ,मुखौटा एवं भंगिमा का ही था ।देह धुनती थी रंडियां ,मजा मारते थे भड़ुए ।लेखक की बजाय प्रकाशक बनना मुफीद था ,नए लेखक यहां आराम से फँसते थे ।यह कोई छोटा-खोटा धंधा नहीं था ,दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश जो अपने आपको सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे महान वामपंथी कहते थे , को भी ये पता था कि दलाली कोई साधारण चीज नहीं है ,इसीलिए वे हथियार बनाते भी थे ,और दलाली भी खुद ही करते थे ।यह महायुग था ,जिसमें सबसे ज्यादा चमक तृतीयक क्षेत्र के पास ही था ।दलाली जिंदाबाद !
दलाली कर रहे हैं न भैया ,एकदम करिए ,परंतु आकाश की ऊंचाई से या फिर धरती की गुरूता से एकदम ही प्रभावित नहीं होइए ,होइए भी तो दिखे नहीं ,और दिख भी जाए तो उसका फायदा हो ।मौका मिले तो ये भी कहिए कि धरती की गुरूत्वाकर्षण शक्ति को आप कम या ज्यादा कर सकते हैं ,या फिर आकाश को खींच के नीचा या फिर मुक्का मार के ऊपर कर सकते हैं यदि नहीं कर पाए तो ये बताइए कि आपकी नामर्दी जनहित में है ।
दलाली कर रहे हैं न भैया ,एकदम करिए ,परंतु आकाश की ऊंचाई से या फिर धरती की गुरूता से एकदम ही प्रभावित नहीं होइए ,होइए भी तो दिखे नहीं ,और दिख भी जाए तो उसका फायदा हो ।मौका मिले तो ये भी कहिए कि धरती की गुरूत्वाकर्षण शक्ति को आप कम या ज्यादा कर सकते हैं ,या फिर आकाश को खींच के नीचा या फिर मुक्का मार के ऊपर कर सकते हैं यदि नहीं कर पाए तो ये बताइए कि आपकी नामर्दी जनहित में है ।