Labels
- ।दलाली जिंदाबाद ! (1)
- 'आजकल' (1)
- 'पुरानी पत्रिका से' (2)
- (मऊ से पटना वाया फेफना (1)
- (हम जहां रहते हैं) (9)
- (हे हिंदी के आलोचक (1)
- 11 जनवरी (1)
- 12 अगस्त (1)
- 15 जून (1)
- 17मार्च (1)
- 21 अगस्त (1)
- 24 दिसंबर (2)
- 28 अक्तूबर (1)
- 30 जून (1)
- 31 दिसंबर (1)
- 31जुलाई (2)
- 5 नवंबर (1)
- film critique (1)
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (1)
- अनिल कुमार त्रिपाठी (1)
- अरूण कमलप (1)
- अविनाश मिश्र (1)
- अशोक वाजपेयी (2)
- अष्टभुजा शुक्ल (1)
- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी (2)
- आलोचकगण....) (1)
- आलोचना (6)
- आलोचना 46 (3)
- आलोचना का स्वतंत्र मान (1)
- इब्ने इंशा (1)
- उदयन वाजपेयी (1)
- उर्दू साहित्य (2)
- एकदा भारत देशे (3)
- कबीर (1)
- कबीर संजय (1)
- कलमकार कहानी प्रतियोगिता (1)
- कलमबाड़ी (1)
- कवि कोविद कहि सके......... (2)
- कविता अनिल कुमार त्रिपाठी (2)
- कहानी (1)
- कुमार विश्वास (2)
- केदारनाथ सिंह (1)
- चन्द्रकान्त देवताले (1)
- जनसंदेश टाइम्स (1)
- जय प्रकाश धूमकेतु (1)
- डेविड लारेंजन (1)
- डॉ0 नगेन्द्र; (1)
- तिथियों में हिंदी साहित्य (1)
- त्रिलोचन (2)
- नए आलोचक (1)
- नन्द दुलारे वाजपेयी (1)
- नया ज्ञानोदय (2)
- नागार्जुन (1)
- निराला (1)
- निशांत झा (1)
- नीरज (1)
- पत्र पत्रिका (3)
- पत्र-पत्रिका (13)
- पुस्तक चर्चा (1)
- प्रगतिवाद (2)
- प्रगतिशील वसुधा (1)
- प्रतिमा राकेश (1)
- प्रभात मिलिंद (1)
- फिराक गोरखपुरी से बलवंत सिंह की बातचित का एक अंश (1)
- बक्सर) (1)
- बच्चन सिंह (1)
- बया (1)
- भाषान्तर (1)
- भोला नाथ त्यागी (1)
- मायामृग (1)
- मोती बी0ए0 (1)
- मोहम्मद रफी (2)
- यतीन्द्र मिश्र (1)
- यात्रा वृतांत (1)
- रवि भूषण पाठक (25)
- रवि भूषण पाठक :भारतीय इतिहास एवं राजनीति (2)
- रवींद्र वर्मा (1)
- रसूलपुर डायरी (1)
- राजकमल प्रकाशन (1)
- राम शरण शर्मा :जीवन यात्रा (1)
- लक्ष्मी नारायण मिश्र (1)
- लघुकथा (1)
- लेखक प्रसंग (3)
- वागीश शुक्ल (1)
- विपिन चंद्र (1)
- विश्वनाथ त्रिपाठी (1)
- व्योमकेश दरवेश (1)
- शताब्दी प्रसंग (1)
- शमीम करहांनी (1)
- शुक्रवार (2)
- श्रीलाल शुक्ल (1)
- समकालीन कविता (1)
- समकालीन सरोकार (1)
- समास-8 (1)
- संस्मरण (1)
- सांप्रदायिकता (1)
- साहिर लुधियानबी ( sahir ludhiyanabi ) (1)
- सुरेश सेन निशांत (1)
- सूरज प्रकाश (2)
- हिंदी आलोचना (14)
- हिंदी कविता (2)
- हिंदी नाटक (1)
Followers
Saturday 20 November, 2010
Friday 19 November, 2010
मॉ
हमें तुक लय देते देते
हो गई वह नीरस गदयाभास
मॉ का शैशव है प्रागैतिहास
जवानी के साक्ष्य
गहनों में मौजूद है
सबसे पुराने सन्दूक में बन्द है
झुर्रियों ने कर दिया है छोटा
उसकी चहारदीवारी को
बेपर्द दरवाजे पर बैठ
बेसूरे गानों के साथ
सुला रही मेरे बच्चों को
मोटे चश्मों के पीछे दत्तचित्त
थरथराते हाथों से हटा रही
चावल में से कंकड
बना रही मेरे बच्चों का भविष्य ।
हो गई वह नीरस गदयाभास
मॉ का शैशव है प्रागैतिहास
जवानी के साक्ष्य
गहनों में मौजूद है
सबसे पुराने सन्दूक में बन्द है
झुर्रियों ने कर दिया है छोटा
उसकी चहारदीवारी को
बेपर्द दरवाजे पर बैठ
बेसूरे गानों के साथ
सुला रही मेरे बच्चों को
मोटे चश्मों के पीछे दत्तचित्त
थरथराते हाथों से हटा रही
चावल में से कंकड
बना रही मेरे बच्चों का भविष्य ।
Tuesday 9 November, 2010
फेसबुक पर मिले राजेन्द्र यादव
फेसबुक पर मिले राजेन्द्र यादव नामवर और कई मातवर
मैं कसम से कहता हूं
वे मेरे मित्र बन गए हैं
शायद वे मित्रधर्म निबाहेंगे
मेरी बुरी कविता भी छापेंगे
संभव हो बालसंगी गौरीशंकर का स्थान लें वो
मेरे कच्चे सूर को भी सराहे
बुखार में पारासिटामोल खिलाए
या मेरी पत्नी से सुलह कराएं
यही नहीं बद्रीनारायण गीत और धीरेन्द्र भी मिल गए हैं
वैसे उदयप्रकाश गौरीनाथ ने मुझे घास नहीं डाला है
या तो बहुत व्यस्त होंगे या तेलपानी का बोलबाला है
कुछ सुन्दरियों के साथ ही आशीष त्रिपाठी ने भी जबाव नही दिया है
वही जिसने नामवर के भाषण को चार किताब में बाइंड किया है
अजय तिवारी भी घमंडी है
दोस्ती है कि शब्जी मंडी है
कहॉ है गुरू गोपाल राय और विश्वनाथ त्रिपाठी
मित्र मिथिलेश और के के भी नही है
टेमा में रह रहे प्रेम भाई पता नही फेसबुक जानते हैं या नहीं
फुच्चु लुटकुन राघव और अशोक मित्र बढाने में व्यस्त हैं
पता नही जब राजेन्द्र यादव ने मेरी दोस्ती कबूल की होगी
तब क्या सोचा होगा
मुस्कुराया होगा
या ंंंंंंंंंंं
मेरे गुरू गोपाल राय और विश्वनाथ त्रिपाठी
मैं कसम से कहता हूं
वे मेरे मित्र बन गए हैं
शायद वे मित्रधर्म निबाहेंगे
मेरी बुरी कविता भी छापेंगे
संभव हो बालसंगी गौरीशंकर का स्थान लें वो
मेरे कच्चे सूर को भी सराहे
बुखार में पारासिटामोल खिलाए
या मेरी पत्नी से सुलह कराएं
यही नहीं बद्रीनारायण गीत और धीरेन्द्र भी मिल गए हैं
वैसे उदयप्रकाश गौरीनाथ ने मुझे घास नहीं डाला है
या तो बहुत व्यस्त होंगे या तेलपानी का बोलबाला है
कुछ सुन्दरियों के साथ ही आशीष त्रिपाठी ने भी जबाव नही दिया है
वही जिसने नामवर के भाषण को चार किताब में बाइंड किया है
अजय तिवारी भी घमंडी है
दोस्ती है कि शब्जी मंडी है
कहॉ है गुरू गोपाल राय और विश्वनाथ त्रिपाठी
मित्र मिथिलेश और के के भी नही है
टेमा में रह रहे प्रेम भाई पता नही फेसबुक जानते हैं या नहीं
फुच्चु लुटकुन राघव और अशोक मित्र बढाने में व्यस्त हैं
पता नही जब राजेन्द्र यादव ने मेरी दोस्ती कबूल की होगी
तब क्या सोचा होगा
मुस्कुराया होगा
या ंंंंंंंंंंं
मेरे गुरू गोपाल राय और विश्वनाथ त्रिपाठी
Thursday 4 November, 2010
लक्ष्मी ये आपका नही है
नाराज नही हो विष्णुप्रिये
मेरे दीवार पर टॅगी हाथी युगल आपका नहीं है
फूलजल अर्पित नहीं किया इसने
ऐरावत का ऐश्वर्य इसमें मत देखें
गणेश का सर इसके पूर्वजों से नहीं बना
मेरे दीवार पर टॅगी हाथी युगल आपका नहीं है
फूलजल अर्पित नहीं किया इसने
ऐरावत का ऐश्वर्य इसमें मत देखें
गणेश का सर इसके पूर्वजों से नहीं बना
लीलाधर ने इसे कब बचाया
यह कलियुग का चुनावी हाथी भी नहीं है
यह तो अपने आप में ही मत्त हाथी हथिनी है
नवदम्पति है क्या
क्षमा करना लक्ष्मी
कोई रार तो नहीं कर रहा
पर सोच नही पा रहा
तुमको पूजूं या तुम्हारे हाथी को
वैसे मेरी हाथी को किसी अनाम कुम्हार ने बनाया है
इसका कलात्मक मूल्य नगण्य है
Subscribe to:
Posts (Atom)