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Tuesday 9 November, 2010

फेसबुक पर मिले राजेन्‍द्र यादव

फेसबुक पर मिले राजेन्‍द्र यादव नामवर और कई मातवर
मैं कसम से कहता हूं
वे मेरे मित्र बन गए हैं
शायद वे मित्रधर्म निबाहेंगे
मेरी बुरी कविता भी छापेंगे
संभव हो बालसंगी गौरीशंकर का स्‍थान लें वो
मेरे कच्‍चे सूर को भी सराहे
बुखार में पारासिटामोल खिलाए
या मेरी पत्‍नी से सुलह कराएं
यही नहीं बद्रीनारायण गीत और धीरेन्‍द्र भी मिल गए हैं
वैसे उदयप्रकाश गौरीनाथ ने मुझे घास नहीं डाला है
या तो बहुत व्‍यस्‍त होंगे या तेलपानी का बोलबाला है
कुछ सुन्‍दरियों के साथ ही आशीष त्रिपाठी ने भी जबाव नही दिया है
वही जिसने नामवर के भाषण को चार किताब में बाइंड किया है
अजय तिवारी भी घमंडी है
दोस्‍ती है कि शब्‍जी मंडी है
कहॉ है गुरू गोपाल राय और विश्‍वनाथ त्रिपाठी
मित्र मिथिलेश और के के भी नही है
टेमा में रह रहे प्रेम भाई पता नही फेसबुक जानते हैं या नहीं
फुच्‍चु लुटकुन राघव और अशोक मित्र बढाने में व्‍यस्‍त हैं
पता नही जब राजेन्‍द्र यादव ने मेरी दोस्‍ती कबूल की होगी
तब क्‍या सोचा होगा
मुस्‍कुराया होगा
या ंंंंंंंंंंं






मेरे गुरू गोपाल राय और विश्‍वनाथ त्रिपाठी

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