चना श्रेष्ठ होता है गेहूं से ,गेहूं के पत्ते चने के पत्ते से ज्यादा सजीला होता है ,गेहूं देश के बारे में ज्यादा सोचता है ,गेहूं पूरबैया में ज्यादा जोर से नाचता है ।चना का फूल ज्यादा कामुक होता है ,चना लतर कर देश का ज्यादा जमीन छेकता है ,चना की नीयत गेहूं के प्रति खराब़ है ।चना गेहूं को बरबाद करना चाहता है ।गेहूं अपनी लंबाई से चने के परागन को रोकता है ,गेहूं चने की ओर आने वाले हवा ,पानी ,गीत सबको रोकता है ।खेत ज्यादा अच्छे होते यदि केवल चना ही होता ।ये दुनिया ज्यादा प्यारी होती ,यदि केवल चने की खेती की जाती ,आखिर प्रोटीन ही तो सब कुछ है ।देश का ज्यादा से ज्यादा संसाधन केवल गेहूं के लिए खर्च हो रहा है ,सारी बिजली ,सारा खाद ,श्रमिक वर्ग ,थ्रेशिंग ,ट्रैक्टर सब गेहूं की पूजा में व्यस्त ।
(रवि भूषण पाठक)
(रवि भूषण पाठक)
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