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Thursday, 28 October 2010
nirala aur vartman ka atank
nirala ki kavitaon par anya chhayavadi kavion ki tulna mein vartman ka jyada prabhav hai .yeh anshtah unki antardrishti evam anshtah unki jindagi ke karan hai .jiye gaye jeevan ne unki kavitaon mein sangharsh aur saundarya ka swaroop nischit kiya .tathya aur vivaran ke star par pant ki kavita mein gandhi, marx,arvind evam vibhinna andolanon ki purjor upasthiti hai,par in vivaranon ka sahityik mahatwa simit hai.pant ka mahatwa in rachnaon ke karan nahin hai.doosri ohr nirala ki aisi kavitayen bhi adbhut saundarya se paripurna hai .
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Dekh kar dekha nahi koi,
ReplyDeleteChot kha kar jo nahi roi,
Per nirala nain bar rote,
Ham janha hote vanhi hote,
Ghar manka sar per nahi dhote.
jankavi Prakash
jankaviprakash@gmail.com