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Saturday, 7 April 2012
राम लोचन ठाकुर की दो मैथिली कविताएं
कविता और कविता और कविता
बन्धु !
ऐसा होता है
ऐसा होता है कभी काल
भादो का 'सतहिया'
माघ की शीतलहरी
कोई नयी बात नहीं
जब दिन पर दिन
सूर्य का अस्तित्व
रहा करता अगोचर
तो मान लेना सूर्यास्त
आलोक पर अन्धकार का वर्चस्व
कौन सी बुद्धिमानी है
सामयिक सत्य होकर भी
शाश्वत नहीं होता अन्धकार
और आगे
जब पूंजीवादी विस्तार लिप्सा का
जारज संतान वैश्वीकरण
संपूर्ण विश्व को बाजार बना देने के लिए
हो रहा उद्धत अपस्यांत
आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है
'प्रतिकार'शब्द साधक के लिए
कविता मार्ग से विचारना-बतियाना
विचारना-बतियाना कविता मार्ग से
हो जाता अनिवार्य
शब्द संस्कृति की रक्षा के लिए
जो सबसे पहले हाता आक्रांत
बाजार-संस्कृति के द्वारा
बाजार संस्कृति
भाट और भड़ुए के बल पर
रूप विस्तार करती
विकृत और विकार युक्त
बाजार-संस्कृति
आदमी से आदमियत
शब्द से संवेदना तक को
वस्तु में बदल देने के लिए रच रहा षड्यंत्र
शब्द का अपहरण
शब्दार्थ के संग बलात्कार
तब कविता ही खड़ी हो पाती एकमात्र
अपनी संपूर्ण ऊर्जा व आक्रामकता के संग
बना अभेद्य ढ़ाल
एकमात्र कविता ।
एक मात्र कविता
हां बन्धु
मैं कविता की बात करता हूं
शब्द-समाहार का नहीं
शब्द जादूगर द्वारा सृजित-संयोजित इन्द्रजाल
साहित्य की अन्यान्य विधाएं
अनुगमन करती कविता की
पर आगे तो कविता ही रहता
वही करता नेतृत्व
मुक्ति के नाम पर
पददलित होता कोई देश कोई जाति
जनतंत्र के नाम पर दलाल-तंत्र
प्रतिष्ठा का प्रयास
सुरक्षा को मुखौटा बना
लुंठित होता सम्पत्ति -सम्मान
सभ्यता का धरोहर
स्वस्तिक खजाना संस्कृति का
काबुल से कर्बला तक रक्तरंजित
जाति-सम्प्रदाय-पूंजीवाद का त्रिशूल व ताण्डव
तब कविता और एक मात्र कविता ही
उठाए हुए मशाल
विध्वंस के विरूद्ध सृष्टि के संग
दानवता के विरूद्ध मानवता की
शोषण के विरूद्ध मुक्ति की
आशा-विश्वास का प्रतीक बन
अपनी संपूर्ण अर्थवत्ता
उपयोगिता-उपादेयता के संग
जातीयता के मध्य अंतर्राष्ट्रीयता का
व्यष्टि के मध्य समष्टिगत चिंतन चेतना के संग
दीपित रहती कविता
मेरी कविता
आपकी कविता
आशा की कविता
भाषा की कविता
कविता...
और कविता...
और कविता.....
2 एक फॉक अन्हार:एक फॉक इजोत
संध्या होते ही
अंधकार की गर्त में
खो जाता गांव
एक आशंका
एक आतंक
फैल जाता
सब जगह
गांव
जहां भारत की आत्मा रहती है !
संध्या होते ही
शहर बन जाता
लिलोत्तमा
नित नूतन आभूषण
नए-नए साज
रंग-बिरंगा आलोक का संसार
एक आकांक्षा
एक उन्माद
शहर
जहां भारत-भाग्य-विधाता रहते हैं !
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