भाई अनिल कुमार त्रिपाठी ने हिन्दी और भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि-गीतकार मोती बी0ए0 पर विस्तार से बताया ।अनिल मानते हैं कि हिंदी फिल्मों से लगाव और उन संस्कारों को ज्यादा महत्व देने से कवि की रचनात्मकता और उनकी स्वीकृति प्रभावित हुई ।बाद में बरहज जैसे छोटे कस्बे में आने से उनके जीवन और संघर्ष से वह ताप खतम हो गया ,जो उनके गाने में देखे सुने गए ।
एक बार मोती बी0ए0 ने दिनकर की प्रसिद्ध पंक्तियों को आधार बनाते हुए एक कविता लिखी
हटा पंथ के मेघ व्योम में स्वर्ग लूटने वाले
अकुलाए बच्चों के हित में दूध छीनने वाले
कहां गए वो कवि दिनकर राष्ट्रीय कहाने वाले
सरकारी ओहदे पाकर गद्दारी करने वाले
अनिल बताते हैं कि यह कविता उन्होंने दिनकर के भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के पद स्वीकारने के बाद लिखी थी ।परंतु अनिल जी के पिता जी (श्री वीरेंद्र त्रिपाठी) के आग्रह पर उन्होंने दिनकर का नाम हटाकर महान शब्द जोड़ दिया ।
एक बार मोती बी0ए0 ने दिनकर की प्रसिद्ध पंक्तियों को आधार बनाते हुए एक कविता लिखी
हटा पंथ के मेघ व्योम में स्वर्ग लूटने वाले
अकुलाए बच्चों के हित में दूध छीनने वाले
कहां गए वो कवि दिनकर राष्ट्रीय कहाने वाले
सरकारी ओहदे पाकर गद्दारी करने वाले
अनिल बताते हैं कि यह कविता उन्होंने दिनकर के भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के पद स्वीकारने के बाद लिखी थी ।परंतु अनिल जी के पिता जी (श्री वीरेंद्र त्रिपाठी) के आग्रह पर उन्होंने दिनकर का नाम हटाकर महान शब्द जोड़ दिया ।
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