गाजीपुर की जय ,बलिया की जय ,मऊ की जय ,पूरे पूर्वांचल की जय ।पूर्वांचल में दिख रहे भारत-प्रेम की जय तथा भारत ही नहीं नेपाल तक में बढ़ रहे पूर्वांचल के प्रति बढ़ रहे जिज्ञासा की जय । पूर्वांचल में फल-फूल रहे ‘डिग्री टूरिज्म’ की जय ।वाह रे राहुल सांस्कृत्यायन की धरती , रूस,चीन,तिब्बत तक घूमे विद्या की प्राप्ति के लिए ,तो अब पूरी दुनिया को डिग्री देने का संकल्प इसी धरती से ।और संकल्प भी बहुत मँहगा नहीं दस हजार से लेकर एक लाख तक के विभिन्न पैकेज । अपने पूर्जा से नकल ,स्कूल के मास्टर से नकल ,परिक्षार्थी के स्थान पर किसी और को बैठाना ,दूसरी कॉपी की व्यवस्था या फिर परीक्षा से हमारा कोई मतलब नहीं ,ये लीजिए दो लाख ,और बस हमको डिग्री दीजिए ।
और किसको सुख नहीं इस व्यवस्था से ,विद्यार्थी को डिग्री तो मिल ही रही है ,एक महीने तक वसंतवास ।मात्र तीन घंटे तक का ही कष्ट है कि परीक्षा हॉल में बैठिए ,फिर शाम से अनंत आनंद की स्थिति ।मास्टरों की भी कुछ ज्यादा ही पूछ है इस समय ।कुछ तो नकल बनाते हैं ,कुछ चिट पहुंचाते हैं ,और श्री झंडा पांडे जैसे मास्टर भी हैं ,जो हैं तो एक छोटे मोटे ठेकेदार ,पर यदि कोई बदमाश अधिकारी और पुलिसजन आते हैं तो पांडे जी उनसे तब तक लोहा लेते हैं ,जब तक कि परीक्षा कक्ष के परिक्षार्थी और छात्र सतर्क न हो जाए ।कुछ स्टेटिक मजिस्ट्रेट होते हैं ,और उनकी इतनी सेवा हो जाती है कि वे स्टेटिक ही बने रहते हैं ,बस प्रधानाचार्य के कक्ष में बैठना ,काजू,किशमिश खाना और अखबार पढ़ना ,इनके साथ लगे पुलिस और चपरासी की भी खूब आव-भगत ।जो मोबाईल मजिस्ट्रेट होते हैं ,वे भी कुछ देर के लिए आएंगे ,और बस वसूल कर मोबाईल हो जाएंगे ।शिक्षा विभाग के अधिकारी इस दौरान काफी परेशां दिखेंगे ,क्योंकि उन्हें व्यवस्था बनाते हुए ये सब करबाना है ,और सबकुछ करना है ,पर सख्त दिखना है ।बेचारे पत्रकार भी कभी-कभी आ धमकते हैं ,पर प्रिंसिपल या कोई मास्टर उनका रिश्तेदार होता है ,या फिर पत्रकार के भी बच्चे उस विद्यालय से परीक्षा दे रहे होते हैं ।अब पूछिए मत साहब
समस्त पूर्वांचल इस समय अतिथियों से भरा है ।गांव से लेकर शहर तक ।गांव के स्कूल ज्यादा मुफीद माने जाते हैं ,क्योंकि मोबाईल टीम की पहुंच वहां तक कम होती है ।और फिर वसंत का समय ,बिजली पंखे ,ए0सी0 और फ्रिज की जरूरत वैसे भी कम है ,सो विद्यार्थी और उनके माता-पिता वसंत का गुण-गान कर रहे हैं निराला ,सुभद्रा कुमारी चौहान और केदार नाथ अग्रवाल से भी ज्यादा ।और हर तरह के मकान किराए पर है ,पक्का ,कच्चा ,फूस का ।एक कमरे में दस-दस ,बीस-बीस लोग जमा हैं ।बिना जाति ,धर्म ,प्रांत ,भाषा की पड़ताल किए मकान मालिक किराया वसूल रहे हैं ,और पूर्वांचल भारत-भूमि की विविधता में एकता को फिर से रेखांकित कर रहा है ।
शिक्षा और मनोरंजन का यह अद्वितीय मेला आपको कहीं नहीं मिलेगा ।शाम से ही खेल , फिल्म ,गीतगान ,बातचित,भोज-भात का लंबा दौर ,जो देर रात तक चलना है ,और भोजपुरी क्षेत्र में पंजाबी ,बंगाली ,नेपाली व्यंजनों की महक फैल जाएगी ।महीने भर की परीक्षा के दौरान कम ही माता-पिता साथ रहते हैं ,और फिर बच्चे प्रतिबंधित सुखों की ओर भी कदम बढ़ाते हैं ।इतना एकांत ,इतना अपरिचय ,इतनी भीड़भाड़ ,इतने खेत जो उन्होंने केवल फिल्मों में ही देखे हैं......सच सच बताइए किसको दुख है इस व्यवस्था से ।
दुकानों के माल बिक रहे हैं ,फोटो स्टेट वाला बिजी है ,पेट्रोल पंप वाला बिजी है ।डी0एम0 से लेकर एक होमगार्ड तक सब व्यवस्था बनाने के लिए चाक-चौबंद ।ज्यादा नंबर आएंगे ,स्कूल का नाम रौशन होगा ,बोर्ड का नाम ,प्रदेश का नाम रौशन होगा ,बच्चे अगले क्लास में जाएंगे ,उन्हें लैपटॉप मिलेगा ,बीस हजार रूपए मिलेंगे ,बच्चियों की शादी हो जाएगी ,परिवार ,समाज ,राष्ट्र सब के शिक्षा में बढ़ोत्तरी ।सही में कौन नाराज है यहां !!
और किसको सुख नहीं इस व्यवस्था से ,विद्यार्थी को डिग्री तो मिल ही रही है ,एक महीने तक वसंतवास ।मात्र तीन घंटे तक का ही कष्ट है कि परीक्षा हॉल में बैठिए ,फिर शाम से अनंत आनंद की स्थिति ।मास्टरों की भी कुछ ज्यादा ही पूछ है इस समय ।कुछ तो नकल बनाते हैं ,कुछ चिट पहुंचाते हैं ,और श्री झंडा पांडे जैसे मास्टर भी हैं ,जो हैं तो एक छोटे मोटे ठेकेदार ,पर यदि कोई बदमाश अधिकारी और पुलिसजन आते हैं तो पांडे जी उनसे तब तक लोहा लेते हैं ,जब तक कि परीक्षा कक्ष के परिक्षार्थी और छात्र सतर्क न हो जाए ।कुछ स्टेटिक मजिस्ट्रेट होते हैं ,और उनकी इतनी सेवा हो जाती है कि वे स्टेटिक ही बने रहते हैं ,बस प्रधानाचार्य के कक्ष में बैठना ,काजू,किशमिश खाना और अखबार पढ़ना ,इनके साथ लगे पुलिस और चपरासी की भी खूब आव-भगत ।जो मोबाईल मजिस्ट्रेट होते हैं ,वे भी कुछ देर के लिए आएंगे ,और बस वसूल कर मोबाईल हो जाएंगे ।शिक्षा विभाग के अधिकारी इस दौरान काफी परेशां दिखेंगे ,क्योंकि उन्हें व्यवस्था बनाते हुए ये सब करबाना है ,और सबकुछ करना है ,पर सख्त दिखना है ।बेचारे पत्रकार भी कभी-कभी आ धमकते हैं ,पर प्रिंसिपल या कोई मास्टर उनका रिश्तेदार होता है ,या फिर पत्रकार के भी बच्चे उस विद्यालय से परीक्षा दे रहे होते हैं ।अब पूछिए मत साहब
समस्त पूर्वांचल इस समय अतिथियों से भरा है ।गांव से लेकर शहर तक ।गांव के स्कूल ज्यादा मुफीद माने जाते हैं ,क्योंकि मोबाईल टीम की पहुंच वहां तक कम होती है ।और फिर वसंत का समय ,बिजली पंखे ,ए0सी0 और फ्रिज की जरूरत वैसे भी कम है ,सो विद्यार्थी और उनके माता-पिता वसंत का गुण-गान कर रहे हैं निराला ,सुभद्रा कुमारी चौहान और केदार नाथ अग्रवाल से भी ज्यादा ।और हर तरह के मकान किराए पर है ,पक्का ,कच्चा ,फूस का ।एक कमरे में दस-दस ,बीस-बीस लोग जमा हैं ।बिना जाति ,धर्म ,प्रांत ,भाषा की पड़ताल किए मकान मालिक किराया वसूल रहे हैं ,और पूर्वांचल भारत-भूमि की विविधता में एकता को फिर से रेखांकित कर रहा है ।
शिक्षा और मनोरंजन का यह अद्वितीय मेला आपको कहीं नहीं मिलेगा ।शाम से ही खेल , फिल्म ,गीतगान ,बातचित,भोज-भात का लंबा दौर ,जो देर रात तक चलना है ,और भोजपुरी क्षेत्र में पंजाबी ,बंगाली ,नेपाली व्यंजनों की महक फैल जाएगी ।महीने भर की परीक्षा के दौरान कम ही माता-पिता साथ रहते हैं ,और फिर बच्चे प्रतिबंधित सुखों की ओर भी कदम बढ़ाते हैं ।इतना एकांत ,इतना अपरिचय ,इतनी भीड़भाड़ ,इतने खेत जो उन्होंने केवल फिल्मों में ही देखे हैं......सच सच बताइए किसको दुख है इस व्यवस्था से ।
दुकानों के माल बिक रहे हैं ,फोटो स्टेट वाला बिजी है ,पेट्रोल पंप वाला बिजी है ।डी0एम0 से लेकर एक होमगार्ड तक सब व्यवस्था बनाने के लिए चाक-चौबंद ।ज्यादा नंबर आएंगे ,स्कूल का नाम रौशन होगा ,बोर्ड का नाम ,प्रदेश का नाम रौशन होगा ,बच्चे अगले क्लास में जाएंगे ,उन्हें लैपटॉप मिलेगा ,बीस हजार रूपए मिलेंगे ,बच्चियों की शादी हो जाएगी ,परिवार ,समाज ,राष्ट्र सब के शिक्षा में बढ़ोत्तरी ।सही में कौन नाराज है यहां !!
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