धाकड़ मजिस्ट्रेट वो होता है ,जो मेला ,दंगा और परीक्षा ड्यूटियों में डेली हिसाब करता है ।उसे दिहाड़ी कहने-कहाने का भय नहीं है ,बल्कि 'लेते' वक्त एक आत्मसंतोष का भाव होता है कि 'कोई फ्री का थोड़े ही ले रहा हूं 'वह मेला में दुकान गिनकर ,दंगा में मूड़ी गिनकर और परीक्षा में एडमिट कार्ड गिनकर लेता है ।अब जैसे कि परीक्षा ड्यूटी है तो प्रति पाली प्रति विद्यार्थी मात्र दस रूपये की दर से हिसाब कर दीजिए ।अब आप सोच रहे होंगे कि इससे तो दोहजार -तीन हजार डेली ही मिल पाएगा ,और यदि अंत में लिया जाए तो लेने के कई नाम है -कोपरेशन के लिए ,नॉन आपरेशन केलिए ,होली सेलिब्रेशन के लिए या फिर सॉलिड ठकुरई कि 'भय बिनु ...' या फिर अचूक ब्राह्मणवाद कि राजा ,ब्राह्मण और देवता के यहां लोग खाली हाथ नहीं जाते हैं ,और लेनदेन के तमाम मॉडल इसी वाद में अंर्तभुक्त हैं ।अब आप डेली हिसाब नहीं किए और कहीं हाकिम ने ड्यूटी बदल दी ,तो ये पुराना बनिया/स्कूल प्रबंधक आपसे मिलेगा ? और आप कुछ ले पाऐंगे ?।इसलिए जो भी हो 'हस्तामलक' की तरह हो 'बाद में मिलना है ' या 'किसी दिन देख लेंगे' वालों को आप दिखा दीजिए कि आप कितने बड़े मजिस्ट्रेट हैं ,और नियमों ,अधिनिय और आदेशों का इतना धुर्रा उड़ाइए कि ससुर स्कूल सहित उड़ जाए ।ये जो पिछले दिन ड्यूटी बदली है तो स्कूल प्रबंधक और मजिस्ट्रेट बहनों की तरह रोए ,और आने वाले मजिस्ट्रेट के लिए ढ़ेर सारी कथाऍं ,घटनाऍं मौजूद रहे कि 'साहब कितने अच्छे थे ' , और 'साहब तो गाना भी गाते थे ' ।अब आपके पास दो ही विकल्प है या तो दिहाड़ी की तरह डेली वसूलें या फिर अच्छे की तरह गाना गाऍं .........
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Saturday, 23 March 2013
धाकड़ मजिस्ट्रेट
धाकड़ मजिस्ट्रेट वो होता है ,जो मेला ,दंगा और परीक्षा ड्यूटियों में डेली हिसाब करता है ।उसे दिहाड़ी कहने-कहाने का भय नहीं है ,बल्कि 'लेते' वक्त एक आत्मसंतोष का भाव होता है कि 'कोई फ्री का थोड़े ही ले रहा हूं 'वह मेला में दुकान गिनकर ,दंगा में मूड़ी गिनकर और परीक्षा में एडमिट कार्ड गिनकर लेता है ।अब जैसे कि परीक्षा ड्यूटी है तो प्रति पाली प्रति विद्यार्थी मात्र दस रूपये की दर से हिसाब कर दीजिए ।अब आप सोच रहे होंगे कि इससे तो दोहजार -तीन हजार डेली ही मिल पाएगा ,और यदि अंत में लिया जाए तो लेने के कई नाम है -कोपरेशन के लिए ,नॉन आपरेशन केलिए ,होली सेलिब्रेशन के लिए या फिर सॉलिड ठकुरई कि 'भय बिनु ...' या फिर अचूक ब्राह्मणवाद कि राजा ,ब्राह्मण और देवता के यहां लोग खाली हाथ नहीं जाते हैं ,और लेनदेन के तमाम मॉडल इसी वाद में अंर्तभुक्त हैं ।अब आप डेली हिसाब नहीं किए और कहीं हाकिम ने ड्यूटी बदल दी ,तो ये पुराना बनिया/स्कूल प्रबंधक आपसे मिलेगा ? और आप कुछ ले पाऐंगे ?।इसलिए जो भी हो 'हस्तामलक' की तरह हो 'बाद में मिलना है ' या 'किसी दिन देख लेंगे' वालों को आप दिखा दीजिए कि आप कितने बड़े मजिस्ट्रेट हैं ,और नियमों ,अधिनिय और आदेशों का इतना धुर्रा उड़ाइए कि ससुर स्कूल सहित उड़ जाए ।ये जो पिछले दिन ड्यूटी बदली है तो स्कूल प्रबंधक और मजिस्ट्रेट बहनों की तरह रोए ,और आने वाले मजिस्ट्रेट के लिए ढ़ेर सारी कथाऍं ,घटनाऍं मौजूद रहे कि 'साहब कितने अच्छे थे ' , और 'साहब तो गाना भी गाते थे ' ।अब आपके पास दो ही विकल्प है या तो दिहाड़ी की तरह डेली वसूलें या फिर अच्छे की तरह गाना गाऍं .........
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